ऋषभदेव
ऋषभदेव, जिसे जैन धर्म में पहला तीर्थंकर माना जाता है, का जन्म कुंडलपुर में हुआ था। उन्हें जैन परंपरा में ज्ञान और मोक्ष के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। ऋषभदेव ने अपने जीवन में ध्यान और तपस्या के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त किया और अपने अनुयायियों को सही मार्ग पर चलने की शिक्षा दी।
ऋषभदेव का प्रतीक बैल है, जो शक्ति और धैर्य का प्रतिनिधित्व करता है। उन्हें जैन ग्रंथों में अनेक कहानियों और उपदेशों के माध्यम से याद किया जाता है। उनकी शिक्षाएँ आज भी जैन समुदाय में महत्वपूर्ण हैं और अनुयायी उन्हें श्रद्धा के साथ मानते हैं।