दक्षिण भारतीय वास्तुकला
दक्षिण भारतीय वास्तुकला, जिसे मुख्यतः तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में देखा जाता है, एक विशिष्ट शैली है जो प्राचीन मंदिरों और महलों के लिए जानी जाती है। इस वास्तुकला की विशेषताएँ ऊँचे गोपुरम (मुख्य प्रवेश द्वार), विस्तृत प्रांगण, और जटिल शिल्पकला हैं।
इस शैली में ड्रविडियन तत्वों का प्रमुखता से उपयोग होता है, जिसमें पत्थर की नक्काशी और भव्य स्तंभ शामिल हैं। दक्षिण भारतीय मंदिरों में विज्ञान और धर्म का संगम होता है, जो उन्हें सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है।