कर्नाटिक
कर्नाटिक एक प्रमुख भारतीय शास्त्रीय संगीत शैली है, जो मुख्य रूप से दक्षिण भारत में प्रचलित है। यह संगीत शैली हिंदुस्तानी संगीत से भिन्न है और इसमें रागों और तालों का विशेष महत्व होता है। कर्नाटिक संगीत में मुख्यतः वोकल और इंस्ट्रूमेंटल प्रदर्शन होते हैं, जिसमें वीणा, मृदंगम, और फ्लूट जैसे वाद्य यंत्र शामिल हैं।
कर्नाटिक संगीत की जड़ें प्राचीन भारतीय संगीत परंपराओं में हैं और इसे संगीतज्ञ जैसे टीयागराज, मुथुस्वामी दीक्षितर, और श्री वेंकटेश्वर द्वारा विकसित किया गया है। इस शैली में भक्ति गीतों और शास्त्रीय रचनाओं का समावेश होता है, जो इसे एक समृद्ध और विविधताप