सत्यकाम
सत्यकाम एक महत्वपूर्ण पात्र हैं जो भारतीय उपन्यास चौदहवीं शताब्दी के दौरान महाभारत में दिखाई देते हैं। उनका नाम "सत्य" और "काम" से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है "सच्चाई की इच्छा"। सत्यकाम का जीवन सत्य और नैतिकता के सिद्धांतों पर आधारित है, और वे अपने जीवन में सच्चाई को प्राथमिकता देते हैं।
सत्यकाम की कहानी में उनके संघर्ष और बलिदान को दर्शाया गया है। वे अपने गुरु सत्यकामा से शिक्षा प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं। उनकी प्रेरणा और नैतिकता आज भी लोगों के लिए एक उदाहरण है।