वर्ण व्यवस्था
वर्ण व्यवस्था एक सामाजिक प्रणाली है जो प्राचीन भारत में विकसित हुई थी। इसे चार मुख्य वर्गों में बांटा गया है: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र। प्रत्येक वर्ग का अपना विशेष कार्य और जिम्मेदारियाँ थीं, जैसे कि ब्राह्मणों का धार्मिक कार्य, क्षत्रियों का युद्ध और सुरक्षा, वैश्य का व्यापार, और शूद्रों का सेवा कार्य।
यह व्यवस्था समय के साथ जटिल हो गई और जाति व्यवस्था का रूप ले लिया। वर्ण व्यवस्था का उद्देश्य समाज में संतुलन और व्यवस्था बनाए रखना था, लेकिन इसके दुरुपयोग ने सामाजिक असमानता और भेदभाव को जन्म दिया। आज के समय में, इस व्यवस्था की आलोचना की जाती है और समानता की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।