खिलजी वास्तुकला
खिलजी वास्तुकला, जो दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश के दौरान विकसित हुई, भारतीय वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह शैली मुख्यतः 13वीं और 14वीं शताब्दी में प्रचलित थी और इसमें अधिकांश मस्जिदें और किलों शामिल हैं। इसकी विशेषताएँ में बड़े मेहराब, जटिल पत्थर की नक्काशी और ऊँची दीवारें शामिल हैं।
इस वास्तुकला का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण अलाउद्दीन खिलजी द्वारा निर्मित कुतुब मीनार और अलाइ दरवाजा हैं। खिलजी वास्तुकला ने भारतीय स्थापत्य कला में एक नया मोड़ दिया और इसे मुगल वास्तुकला पर भी प्रभाव डाला। इस शैली की भव्यता और स्थायित्व आज भी देखने को मिलती है।