क्रिटिक ऑफ प्योर रीजन
"क्रिटिक ऑफ प्योर रीजन" Critique of Pure Reason एक महत्वपूर्ण दार्शनिक ग्रंथ है जिसे इमैनुएल कांट ने 1781 में लिखा। इस पुस्तक में कांट ने ज्ञान के स्रोतों और सीमाओं का विश्लेषण किया है, यह समझाते हुए कि अनुभव और तर्क कैसे मिलकर मानव ज्ञान का निर्माण करते हैं।
कांट ने इस ग्रंथ में आधुनिक दार्शनिकी की नींव रखी और तर्क और अनुभव के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया। उन्होंने यह तर्क किया कि कुछ ज्ञान पूर्व-निर्धारित होता है, जिसे "अप्रायोगिक" कहा जाता है, जबकि अन्य ज्ञान अनुभव से प्राप्त होता है।