आद्वैत
आद्वैत एक भारतीय दार्शनिकता है, जो मुख्य रूप से आचार्य शंकर द्वारा विकसित की गई थी। इसका अर्थ है "अद्वितीयता" या "एकता", जो यह सिखाता है कि आत्मा (आत्मा) और ब्रह्म (सर्वव्यापी चेतना) एक ही हैं। यह विचारधारा भेदभाव और द्वैत के विपरीत है, जो विभिन्नता को मानती है।
आद्वैत वेदांत में, यह माना जाता है कि व्यक्ति की वास्तविकता और ब्रह्म की वास्तविकता एक समान हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, संसार केवल एक माया (भ्रम) है, और आत्मा का उद्देश्य इस माया से मुक्त होकर अपनी असली पहचान को जानना है।