शांत रस
"शांत रस" एक महत्वपूर्ण भाव है जो भारतीय नाट्यशास्त्र में दर्शाया गया है। यह भाव शांति, संतोष और मानसिक स्थिरता का प्रतीक है। जब किसी नाटक या काव्य में यह रस प्रकट होता है, तो दर्शक या पाठक को एक गहरी आंतरिक शांति का अनुभव होता है।
इस रस का अनुभव अक्सर भगवान, प्रकृति या आध्यात्मिकता से जुड़ी स्थितियों में होता है। यह दर्शकों को एक सकारात्मक और सुखद अनुभव प्रदान करता है, जिससे वे अपने जीवन में शांति और संतोष की भावना को महसूस कर सकते हैं।