पारंपरिक नृत्य
पारंपरिक नृत्य एक सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है जो किसी विशेष क्षेत्र या समुदाय की पहचान को दर्शाता है। यह नृत्य विभिन्न अवसरों पर, जैसे त्योहारों, विवाहों और धार्मिक समारोहों में प्रस्तुत किया जाता है। हर क्षेत्र के अपने विशेष नृत्य रूप होते हैं, जैसे कथक, भरतनाट्यम, और कुचिपुड़ी।
इन नृत्यों में संगीत, वेशभूषा और नृत्य की तकनीक का महत्वपूर्ण योगदान होता है। पारंपरिक नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं को भी व्यक्त करता है। यह नृत्य पीढ़ी दर पीढ़ी सिखाया जाता है, जिससे संस्कृति का संरक्षण होता है।