आदिवासी कला
आदिवासी कला भारत के विभिन्न आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती है। यह कला रूप मुख्यतः चित्रकला, शिल्पकला और वस्त्र कला में प्रकट होती है। आदिवासी कलाकार अपनी परंपराओं, जीवनशैली और प्राकृतिक सौंदर्य को अपने काम में शामिल करते हैं।
आदिवासी कला में मधुबनी, वारली और गोंड जैसे विभिन्न शैलियों का समावेश होता है। ये कलाएँ न केवल सौंदर्य के लिए होती हैं, बल्कि इनमें गहरी सामाजिक और धार्मिक मान्यताएँ भी छिपी होती हैं। आदिवासी कला का संरक्षण और प्रचार महत्वपूर्ण है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इसे समझ सकें और सराह सकें।