अन्ना फ्रैंक
अन्ना फ्रैंक एक जर्मन-यहूदी लड़की थीं, जो 1929 में जन्मी थीं। वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाज़ी जर्मनी से भागकर नीदरलैंड्स में अपने परिवार के साथ रहने आईं। 1942 में, जब नाज़ी अत्याचार बढ़े, अन्ना और उनका परिवार एक छिपने की जगह में चले गए।
अन्ना ने अपने अनुभवों को एक डायरी में लिखा, जिसे बाद में "अन्ना फ्रैंक की डायरी" के नाम से प्रकाशित किया गया। यह पुस्तक यहूदी लोगों के प्रति नाज़ी अत्याचारों की एक महत्वपूर्ण गवाही है। अन्ना 1945 में एक एकाग्रता शिविर में मारी गईं, लेकिन उनकी डायरी आज भी प्रेरणा का स्रोत है।